विज्ञान और तकनीक

S-400 और ऑपरेशन सिंदूर

भारत की सुरक्षा रणनीति में एक नया अध्याय जोड़ने वाला रूस निर्मित S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम अब केवल एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की वायुसीमा का अभेद्य कवच बन चुका है। ऑपरेशन सिंदूर में इसकी अद्भुत क्षमता ने यह सिद्ध कर दिया कि भविष्य के युद्ध अब हवा में ही तय होंगे। इस लेख में जानिए S-400 की तकनीकी विशेषताएं, इसकी कार्यप्रणाली, रणनीतिक महत्व और वह गुप्त ताकत जो इसे दुनिया का सबसे घातक एयर डिफेंस सिस्टम बनाती है।

शिवांश शाश्वत (विज्ञान संचारक)

5/13/20251 min read

सुपर डिफेंडर: एस-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम और ऑपरेशन सिंदूर

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में रूस द्वारा निर्मित एस-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम की भूमिका ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। यह प्रणाली आज की सबसे शक्तिशाली और आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम मानी जाती है। आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करती है और क्यों इसे इतनी प्रतिष्ठा मिली है।

क्या है S-400 ट्रायंफ?

S-400 ट्रायंफ, जिसे रूस में “Triumf” और नाटो द्वारा SA-21 Growler के नाम से जाना जाता है, एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसे रूस की कंपनी Almaz-Antey ने विकसित किया है।

कैसे करता है काम?

S-400 प्रणाली एक साथ कई तकनीकों का प्रयोग करती है:

1. बहु-स्तरीय मिसाइल प्रणाली:

यह प्रणाली 4 अलग-अलग मिसाइलों का उपयोग करती है – जिनकी रेंज 40 से लेकर 400 किमी तक होती है।

यह विभिन्न ऊंचाइयों और गति वाले लक्ष्यों को भेद सकती है – जैसे कि लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलें।

2. रडार और ट्रैकिंग सिस्टम:

S-400 में 91N6E Big Bird रडार होता है जो 600 किमी तक के क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है।

यह 100 से अधिक लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक और 36 तक को एक साथ निशाना बना सकता है।

3. कमांड एंड कंट्रोल यूनिट:

डेटा एनालिसिस और फायरिंग ऑर्डर एक स्वचालित कंट्रोल यूनिट द्वारा संचालित होता है, जिससे मानवीय भूल की संभावना बहुत कम हो जाती है।

ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका:

ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें भारतीय नौसेना और वायुसेना की संयुक्त शक्ति प्रदर्शित हुई, उसमें S-400 ने एक "no-fly zone" जैसा वातावरण बना दिया। यह प्रणाली भारत की वायु सीमा को पूरी तरह से अदृश्य सुरक्षा कवच प्रदान कर रही थी।

S-400 की विशेषताएं:

400 किमी रेंज तक टारगेट डिटेक्शन और नष्ट करने की क्षमता।

स्टील्थ विमानों को भी पहचानने और निशाना बनाने में सक्षम।

एक साथ 36 टारगेट्स को निशाना बना सकता है।

मौसम या भौगोलिक स्थितियों से प्रभावित नहीं होता।

छिपे हुए तथ्य (Hidden Facts):

1. Anti-stealth Technology: S-400 की रडार प्रणाली अमेरिकी F-35 जैसे स्टील्थ विमानों को भी पकड़ सकती है।

2. ECM Resistant: यह इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग (Electronic Countermeasures) से काफी हद तक सुरक्षित है।

3. Mobile & Fast Deployment: इसे कुछ ही घंटों में कहीं भी तैनात किया जा सकता है।

4. Strategic Deterrence: इसकी तैनाती से दुश्मन देश के विमानों को सीमाओं के पास आने से पहले ही चेतावनी मिल जाती है।

भारत में S-400:

भारत ने रूस से 5 यूनिट्स का सौदा किया है, जिसकी लागत लगभग 5.43 अरब डॉलर है। इसकी डिलीवरी 2021 से शुरू हुई थी। यह प्रणाली अब चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं के लिए सुरक्षा कवच बन चुकी है।

अधिक:

1. S-400 के 4 मिसाइल प्रकार:

S-400 एक मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें चार तरह की मिसाइलें होती हैं:

2. रडार सिस्टम की ताकत:-

S-400 में 3 प्रमुख रडार सिस्टम होते हैं:

91N6E Big Bird – मुख्य निगरानी रडार, 600 किमी की रेंज।

92N6E Grave Stone – फायर कंट्रोल रडार, बेहद सटीक।

96L6E – लो-एल्टीट्यूड रडार, जो क्रूज़ मिसाइल और ड्रोन को पहचानता है।

3. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में श्रेष्ठ:

यह ECM-resistant (Electronic Counter Measure) है – मतलब दुश्मन की इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बच सकता है।

S-400 के पास LPI (Low Probability of Intercept) तकनीक होती है, जिससे यह चुपचाप स्कैन कर सकता है।

4. क्रू और नियंत्रण प्रणाली:

एक S-400 यूनिट में लगभग 8 लॉन्चर व्हीकल, एक कमांड यूनिट, और रडार सिस्टम होते हैं।

पूरा सिस्टम केवल 30 मिनट में तैनात हो सकता है।

5. रणनीतिक महत्त्व (Strategic Importance):

यह सिर्फ एक डिफेंस सिस्टम नहीं, बल्कि एक "Airspace Denial Weapon" है – यानी यह दुश्मन को आपकी वायुसीमा में घुसने से पहले ही रोक देता है।

भारत में S-400 की तैनाती से चीन की एयरफोर्स को पीछे हटना पड़ा था, खासकर अरुणाचल और लद्दाख सेक्टर में।

6. तुलना: S-400 बनाम Patriot

7. रोचक तथ्य (Little-Known Facts):

रूस ने इसे 2007 में सक्रिय किया था और सबसे पहले मास्को के आसपास तैनात किया था।

तुर्की को जब S-400 मिला, तो अमेरिका ने उस पर F-35 प्रोग्राम से बैन लगा दिया था।

भारत के पास अब इसकी तैनाती से नई दिल्ली, चीन-पाक सीमा, और पूर्वोत्तर पर एयर-डिफेंस कवच है।

शिवांश शाश्वत (संपादक)

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